नशे से महकते हैं

अंदर के नशे से महकते हैं लोग

बाहर के नशे से बहकते हैं लोग …और जो किसी नशे में बहकता नहीं वह बुद्ध कहलाता है ।।

कहीं एक मासूम

कहीं एक मासूम सा अरमान टूटा होगा
फिर मिट्टी का कच्चा मकान टूटा होगा

अमीरों के लिए बेशक तमाशा हो जलजला
गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा

उलझे हुए है

उलझे हुए है आजकल अपनी उलझनों में… तुम ये ना समझना कि
तुम्हें चाहा था
बस दो दिन के लिए

यारी का मोल

तुम मुझसे यारी का मोल ना पूछना कभी,
तुमसे ये किसने कह दिया की पेड़ अपनी छाँव बेचते है…

दुसरों की अपेक्षा

दुसरों की अपेक्षा अगर आपको सफलता,
यदि देर से मिले तो निराश नही होना चाहिये क्योँकि
मक़ान बनने से ज्यादा समय महल बनने मेँ लगता
है||

खमोश लब हैं

खमोश लब हैं झुकी है पलकें,
दिलों में उल्फत नई नई है ,,
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगू में,
अभी मुहब्बत ये नई-नई है,,
अभी न आएगी नींद तुमको ,
अभी न हमको सुकूं मिलेगा ,,
अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा,
अभी ये चाहत नई नई है ,,
जो खानदानी रईस हैं वो ,
मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना,
तुम्हारा लहजा बता रहा है ,
तुम्हारी ये दौलत नई नई है ,
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा,
कि आ के बैठे हो पहली सफ में,
अभी से उड़ने लगे हवा में ,
अभी ये शोहरत नयी नयी है ||