छोटी
सी लिस्ट है मेरी “ख़्वाहिशों” की
पहले भी तुम और आख़िरी भी
तुम
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
छोटी
सी लिस्ट है मेरी “ख़्वाहिशों” की
पहले भी तुम और आख़िरी भी
तुम
हाथ मेरे पत्थर के, पत्थर की हैं मेरी
उंगलियां,
दरवाज़ा तेरा काँच का, मुझसे खटखटाया न गया…
दोनों ही
बातों से तेरी
एतराज है मुझको..
क्यों तू जिंदगी में आई
और क्यों
चली गई..
मेरी
आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है,
तसवुर में जब भी आते
हो…चेहरा खिल सा जाता है…
बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे,
आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया….
किसी ने
ज़हर कहा है किसी ने शहद कहा
कोई समझ नहीं पाता है ज़ायका
मोहब्बत का
करें किसका एतबार यहाँ, सब अदाकार ही तो हैं…
और गिल़ा भी किससे करें, सब अपने यार ही तो है ।
ये मोहब्बत की राहें भी अजीब होती है,,
एक रास्ता भटक जाए तो दुसरे की मंजिल खो जाती है
सोचता हू तेरी तारीफ में कुछ लिखु….
फिर खयाल आया की कही पढने वाला भी
तेरा दिवाना ना हो जाए….!!
मेरी गली के बच्चे बहुत शरारती हैँ,
आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये…….