उलझनों और कश्मकश में

उलझनों और कश्मकश में..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा

हूँ..
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए..
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़

उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचोली का …
मिलेगी कामयाबी, हौसला

कमाल का लिए बैठा
हूँ l
चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे
मुताबिक..
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक …
मुझे क्या

फ़िक्र.., मैं कश्तीया और दोस्त…
बेमिसाल लिए बैठा हूँ…

मैं फिर से

मैं फिर से निकलूँगा तलाशने को मेरी जिंदगी में खुशियाँ यारो दुआ करना इस बार किसी से मोहब्बत न हो..!!

धोखा मिला जब

धोखा मिला जब प्यार में; ज़िंदगी में उदासी छा गयी; सोचा था छोड़ दें इस राह को; कम्बख़त मोहल्ले में दूसरी आ गयी!