चाँद चुरा के बिंदी बना दूँ, सितारे समेट माँग सजा दूँ!
पकड़ लाऊँ जंगल के सब जुगनू, झिलमिलाती चुनरी तुझे ओढ़ा दूँ!
तुम कहो तो आज तुमको अपना बना लूँ!
तुम कहो तो आज तुमको अपना बना लूँ!!
Category: व्यंग्यशायरी
बारिशों ने तोड़ दी हैं
बारिशों ने तोड़ दी हैं, तुम्हारी यादों की सड़क…
मोहब्बत के तारकोल में मिलावट थी बहुत..!
अब गुमसुम सी रहती हैं
अब गुमसुम सी रहती हैं उँगलियाँ अपनी सहेलियों के बिना
और आंखे इस अफ़सोस मे कि छुपाया क्यों नही उसे जब वो डूबा था|
सौदा तय हुआ!!
दुनिया तेरी
और तू मेरा..
चल, सौदा तय हुआ!!
आँखों में इंतज़ार
आँखों में इंतज़ार के लम्हात सौंपकर…
नींदे भी कोई ले गया अपने सफ़र के साथ….!!
खुशबू सी आ रही है
खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की,
खिडकी खुली है ग़ालिबन उनके मकान की…!
यादों को दुरुस्त
यादों को दुरुस्त रखा किजिये…..
मत मोडो मुझे,
मैं वर्क नही तेरी किताब का…!!
रहने दे कुछ
रहने दे कुछ बातें,
यूँ ही अनकही सी !
कुछ जवाब तेरी आँखों में,
अटके हुए देखे हैं…
बेशर्म हो गयी हैं
बेशर्म हो गयी हैं ये ख्वाहिशें मेरी
मैं अब बिना किसी बहाने के तुम्हे याद करने लगा हूँ|
आँख खुली तो
आँख खुली तो जाग उठी हसरतें तमाम
उसको भी खो दिया जिसको पाया था ख्वाव में|