नज़र उसकी चुभती है

नज़र उसकी चुभती है दिल में कटार की तरह
तड़प कर रह जाता हूँ मैं किसी लाचार की तरह
उसकी मुलाकात दिल को बड़ा सुकून देती है
उससे मिल कर दिन गुज़रता है त्योहार की तरह|

किसी को घर से

किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंज़िल,
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा ।

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा ।

गुज़र जाते हैं ….

गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें .

यूं ही मुसाफिरों की तरह यादें

वहीं खडी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह….