जो ठहर नहीं सकती

साहिल पे बैठे यूँ सोचता हुं आज,
कौन ज़्यादा मजबूर है….?

ये किनारा, जो चल नहीं सकता,
या वो लहर, जो ठहर नहीं सकती…!!!

हम भी कभी

हम भी कभी अपनो की उदासी दूर किया करते थे,
पर जब आज हम तन्हा है तो पूछने वाला कोई नही !!!

दिल अब भी चोंक जाता है

दिल अब भी चोंक जाता है उसके नाम से, जाने क्यों उसका नाम सुना जाता है कोई,
आज भी उलझे है हम, बस इक सवाल पे, जाने क्यों फिर आकर चला जाता है कोई…

मैं शिकायत क्यों करूँ ,ये तो नसीब की बात है-मैं तेरे ज़िक्र” में भी नहीं और मुझे तू हर “लफ्ज़” में याद है.