फोड़ देती है

फोड़ देती है अपना

गुल्लक भी भाई की खुशियों के लिये

भगवान के अलावा बहनें भी मनोकामना पूर्ण करती है

स्याही की भी

स्याही की भी मंज़िल का

अंदाज़ देखिये :
खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़ बनाती है,
जब कोई बिखेरता है, तो

अलफ़ाज़…बनाती है…!!