कह दो अंधेरों से कही
और घर बना लें,
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कह दो अंधेरों से कही
और घर बना लें,
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है.
अजीब अदा है यार लोगों की
नज़रें भी हम पर है और नाराज़गी भी हमसे ही
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे,
जहाँ
चाहा रो सकते थे.
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए,
अश्कों को तनहाई ..
SUNO!
Yoon Chup se Na Raha Karo,
Khamosh Agar Ho Jate Ho,
Kuch WEHM sa Honay Lagta Hai,
Kahin Khafa to Nahi Ho,
Kahin UDAAS to Nahi Ho,
Tum Bolte
Achy Lagti Ho,
Tum Daant-Te Achy Lagti Ho,
Kabi Shararat se
Kabi
Ghussay se
Tum Hunstay Achy Lagte ho
बहुत ख़ूबसूरती देखी इस ज़माने में..
सब भूल गया जब झाँका
तेरी निगाहों में..!”
ना
चाहते हुए भी आ जाता है, लबो पर नाम तेरा..
कभी तेरी तारीफों में, तो कभी तेरी शिकायत
मे..!
तेरे ज़िक्र भर से हो जाती है मुलाक़ात जैसे..
तेरे नाम से भी इस क़दर
इश्क़ है मुझ को..!
हर इसांन की ख्वाहिश होती है
कि सब
उसे पहचाने
,
पर
,
ये भी चिंता सताती है,
कि कोई सही में पहचान न ले…
मुक़म्मल होने की
ख़्वाहिश में हम…!…
और भी ज़्यादा
अधूरे हो जाते हैं…!!
अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का कि मुझे
भूल जाओ तो
मानूँ मोहब्बत है !