मेरी खूबी पर रहती है मेरे अपनों की जुबां खामोश..
चर्चा मेरे ऐबों पर हो तो गूँगे भी बोल पङते हैं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी खूबी पर रहती है मेरे अपनों की जुबां खामोश..
चर्चा मेरे ऐबों पर हो तो गूँगे भी बोल पङते हैं
ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिये, जनाब;
खर्चा बहुत होता है, मंजिलों को पाने में!
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया |
जिंदा रहने की कोशिश में
हम जाने कितना मरते हैं|
सफ़र शुरू कर दिया है मैंने,
बहोत जल्द तुमसे दूर चला जाऊँगा|
पता नहीं होश में हूँ या बेहोश हूँ मैं,
पर बहोत सोच समझकर खामोश हूँ मैं…
समर्थन और विरोध केवल,
विचारों का होना चाहिये किसी व्यक्ति का नहीं…
इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं हे,
मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबु आये|
अपनी बाँहों में ले के सोता हूँ.
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मैंने तकिये का नाम ‘तुम’ रखा है
…..
उम्र भर चलते रहे मगर कंधो पे आए कब्र तक,
बस कुछ कदम के वास्ते गैरों का अहसान हो गया..!!.