अजीब अदा है यार लोगों की
नज़रें भी हम पर है और नाराज़गी भी हमसे ही
Category: नफ़रत शायरी
ए दुश्मनो उठाओ हाथ
ना तबीबों की तलब है न दुआ मांगी
है नी मैं जां हु बस तेरे दामन की हवा मांगी है ए दुश्मनो उठाओ हाथ मांगो जिन्दगी मेरी।
क्यों की दोस्तों ने मेरे मरने की दुआ मांगी है
मेरे साथ बैठ के
मेरे साथ बैठ के वक़्त भी रोया एक दिन।
बोला बन्दा तू ठीक है …मैं ही खराब चल रहा हूँ।
तेरे मिलने से कुछ
तेरे मिलने से कुछ ऐसी बात हो गई,
कुछ भी नहीं था पास मेरे,
जिंदगी से मुलाकात हो गई.
फूल थे गैर की किस्मत
फूल थे गैर की किस्मत में अगर ऐ जालिम,
तूने पत्थर ही फेंक के मुझे मारा होता।
शायरी से इस्तीफा दे
शायरी से इस्तीफा दे रहा हूँ साहब…..
किसी बेवफा ने फिर वफ़ा का वादा किया है ।
तुझे याद कर लूँ
तुझे याद कर लूँ तो मिल जाती है हर दर्द से राहत …
लोग यूँ ही हल्ला मचाते है कि दवाइयाँ महँगी हैं …..
जोड़ी भी क्या खूब बनाई
जोड़ी भी क्या खूब बनाई उस खुदा ने,
तु मासूम सी लड़की और मैं शायर बदनाम.……
एक ही ख़्वाब
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की………
बडी देर कर दी
बडी देर कर दी मेरा दिल तोडने मे,
न जाने कितने शायर आगे चले गये……