जब से छूटा है

जब से छूटा है गांव वो मिट्टी की खुशबू नहीं
मिलती, इस भीड़ भरे शहर में अपनों की सी
सूरत नहीं मिलती।

आज नहीं फिर कभी

आज नहीं फिर कभी इजहार कर देंगे…
इसी सोच में हमने उम्र निकाल दी…!
और उन्होंने भी अभी तक किसी को अपना नहीं बनाया…!