दोस्ती इन्सान की

दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है!

दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है!

आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ!

वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है!

आँख प्यासी है

आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे,
इस जज़ीरे को भी समन्दर दे|

अपना चेहरा तलाश करना है,
गर नहीं आइना तो पत्थर दे|

कुछ अलग ही

कुछ अलग ही करना है तो वफा करो दोस्त,

वरना मजबूरी का नाम ले कर बेवफाई तो सभी करते है !