खेल रहा हूँ

खेल रहा हूँ इसी उम्मीद पे मुहब्बत की बाजी.!
कि एक दिन जीत लूँगा उन्हें, सब कुछ हार के अपना..!

गहन शौध मे

गहन शौध मे पाया गया हे कि
”अकड़”
शब्द में कोई मात्रा नहीं है,
पर ये अलग अलग मात्रा में हर इंसान में ही मौजूद है..!!!

सुकून-ऐ-दिल

सुकून-ऐ-दिल के लिए कभी हाल तो पूछ लिया करो…
..
मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नही लगते ।