तुम तो शरारत पे

तुम तो शरारत पे उतर आए, ये कैसी चाहत पे उतर आए…….,
दिल क्या दिया तुम्हें अपना, तुम तो हुकूमत पे उतर आए…..

मशरूफ रहने का

मशरूफ रहने का अंदाज़
तुम्हें तनहा ना कर दे ग़ालिब,
रिश्ते फुर्सत के नहीं
तवज्जो के मोहताज़ होते हैं…।