यह भी नहीं कि मेरे मनाने से आ गया
जब रह नहीं सका तो .. बहाने से आ गया
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यह भी नहीं कि मेरे मनाने से आ गया
जब रह नहीं सका तो .. बहाने से आ गया
किसको बरदाश्त है खुशी आजकल दूसरो की
लोग तो मय्य़त की भीङ देखकर भी जल जाते है ||
वो चीज़ जिसे दिल कहते है
वो भूल गया में रख कर कही|
एक उम्र के बाद उस उम्र की बातें,
उम्र भर याद आती है…
अपनी कमजोरियो का जिक्र कभी न
करना जमाने से.
लोग कटी पतंगो को जम कर लुटा करते है !!
मुझे पूरा तोड़ देता है,
तेरा आधे मन से बात करना…
करूँ ना याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे
*गज़ल बहाना करूँ और गुनगुनाऊँ उसे|
इश्क़ होना भी लाज़मी है…
शायरी लिखने के लिए…!
वरना….
कलम ही लिखती…
तो हर दफ्तर का बाबू ग़ालिब होता…!!
बहुत अजीब हैं ये कुर्बतों की दूरी भी,
वो मेरे साथ रहा पर मुझे कभी न मिला…
कुछ तबियत भी रही थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत न रही
जिसको चाहा उसे अपना न सके
जो मिला उससे मुहब्बत न हुई…