अंतिम लिबास देखके घबरा न इस कदर ,,
रंगीनियाँ तो देख लीं सादा कफन भी देख..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अंतिम लिबास देखके घबरा न इस कदर ,,
रंगीनियाँ तो देख लीं सादा कफन भी देख..!!
लफ्जो की दहलीज पर ,घायल ज़ुबान है..
कोई तन्हाई से तो कोई, महफ़िल से परेशान है…
किसे यकीन होगा किस से जा के कहें।।
एक बुझे हुवे चराग़ से मेरा हाथ जल गया।।
सुलगती रेत में अब पानी की तलाश नही
मगर ये कब कहा हमने .की हमे प्यास नही
जब भी देखता हूँ खूबसूरत लड़कियो को,
याद आती है वो….कभी एक खूबसूरत लड़की पर हक़ मेरा भी था !!
तुम तमाशा समझती हो
खुदारा ज़िन्दगी है मेरी…
जुड़ नही पाये पुर्जे उन खतो के, फिर कभी,
मेरी ज़िन्दगी मेरे सामने, तड़प-तड़प कर मरी …..
एक चाँद को देखने के लिए
कल अरबो चाँद आज छत पर थे |
ये नर्म मिज़ाजी है जनाब कि गुल कुछ नही कहते,
वरना कभी दिखलाइये .. काँटों को मसलकर….
एहसास थोड़े कम लिखूंगा अब से…!
क्यू कि
दिल को शिकायत है कि मैं चुगली करने लगा हूँ….!!