मंदिर में वो भगवान है जिसे
हमनें बनाया,
और घर में माँ बाप है जिन्होनें हमें बनाया…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मंदिर में वो भगवान है जिसे
हमनें बनाया,
और घर में माँ बाप है जिन्होनें हमें बनाया…
उलझनों और कश्मकश में..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा
हूँ..
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए..
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़
उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचोली का …
मिलेगी कामयाबी, हौसला
कमाल का लिए बैठा
हूँ l
चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे
मुताबिक..
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक …
मुझे क्या
फ़िक्र.., मैं कश्तीया और दोस्त…
बेमिसाल लिए बैठा हूँ…
कुछ शब्द हि तो थी ये जिन्दगी मेरी ..तूने साथ
मिलकर कहानी बना दी …!!
बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आस
परछाई भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश
अल्फाज़ों में क्या बयाँ करे अपनी मोहब्बत के
अफसानें
हमारे दिल में तो वो ही वो है, उनके दिल
की खुदा जाने..”
ये बारिश भी कितनी ज़ालिम हे जो यूँ ही आकर चली जाती है…
..
याद दिलाती है मेरे मेहबूब की..
और भिगोकर मुझे चली जाती है……
मैं अक्सर अपनी पेंसिल की नोक तोड़ दिया करता था..|
क्योंकि क्लास में शार्पनर लाने वाली वो अकेली लड़की थी..
मेरी डायरी के पन्ने बोलते बहुत हैं
मै राज छुपाता हूं , ये खोलते बहुत हैं।
दिल के शहर का दिल ही, दुश्मन बना मिलता है
दिल में रहने वाले दिल तोड़ते बहुत है।
वैसे तो लोग प्यार झूठ से करते बहुत है
बात दिल दुखाने की हो तो सच बोलते बहुत है।
तड़पते है, मचलते है, जुदा जब होते हैं
जाते जाते वो बार बार लोटते बहुत है।
बचने की उम्मीद पे पानी फिर जाता है
हुस्न देखकर दिल डोलते बहुत है।
चलो गमों को ही घर का रास्ता बता दूं
खुशी के लम्हे साथ छोडते बहुत हैं।
एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ
कल धुप भी दीवार पे पूरी नही उतरी-
मैं तबाह हूँ तेरे प्यार में तुझे दूसरों का ख्यालहै….!!!
कुछ तो मेरे मसले पर गौर कर
मेरी जिन्दगी का सवाल है….!!!