मेरा खुदा एक ही है….
जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला
भटक गया था मै….
जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरा खुदा एक ही है….
जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला
भटक गया था मै….
जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
अपनी ख़ू-ए-वफ़ा से डरता हूँ
आशिक़ी बंदगी न हो जाए!
ख़ुशी दे, या गम दे दे…. मग़र देते रहा कर
,तू उम्मीद है मेरी… तेरी हर चीज़ अच्छी लगती है पगली
बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है
फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है
पलके आंखे, दिया और बाती
ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,
मुझे भी अपनी जिद्द बना
लो.!!
मैं रात बारह-बजे जब भी देखता हूँ घड़ी
सूई सूई से लिपटकर मुझे चिढ़ाती है
कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता
एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है
उमर का जोर न दिखाइए जनाब..
तकाज़ा उमर से ही नहीँ, ठोकरों से भी होता है..!
उम्र जाया कर दी
औरों के वजूद में नुक़्स निकालते निकालते…
इतना खुद को तराशते
तो खुदा हो जाते…
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को
मेरी..
मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीता हूँ….