वो दिल ही क्या

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे

रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर
ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे

ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी से किसी को मगर जुदा न करे

सुना है उसको मोहब्बत दुआयें देती है
जो दिल पे चोट तो खाये मगर गिला न करे

ज़माना देख चुका है परख चुका है उसे
“क़तील” जान से जाये पर इल्तजा न करे

बस एक दिन

वो कहते हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ…
ए खुदा..
बस एक दिन.. आईने को जुबान दे दे..

चराग़ ही ने उजालों की

चराग़ ही ने उजालों की परवरिश की है
चराग़ ही से उजाले सुबूत मांगते हैं

हम अहले दिल से हमारी वतनपरस्ती का
वतन को बेचने वाले सुबूत मांगते हैं…