आँखे कितनी भी छोटी क्यों ना हो ,
ताकत तो उसमे सारे आसमान देखने की होती है ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आँखे कितनी भी छोटी क्यों ना हो ,
ताकत तो उसमे सारे आसमान देखने की होती है ..
पलकों में कैद कुछ सपने हैं ,
कुछ बेगाने और कुछ अपने हैं ,
ना जाने क्या कशिश है इन ख्यालों में ,
कुछ लोग दूर हो भी अपने हैं .
मोहब्बत तो तलब की राह में इक ऐसी ठोकर है
के जिस से ज़िंदगी की रेत में ज़मज़म उबलते है
अपने कदमो के निशान अब मेरे रास्ते से हटा दो,,
कहीं ये ना हो कि मैं चलते चलते तेरे पास आ जाऊं !!
जहाँ दुसरो को समझाना कठिन हो..
तो वहाँ खुद को समझा लेना चाहिए…
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी
और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ..!
सारी उमर एक ही हसरत रही दिल मे
कि अपनो में भी काश कोई अपना होता…