तुम सावन का महीना हो
मै तुझपे छाया हूँ झूले की तरह|
Category: दोस्ती शायरी
मुकम्मल हो ही नहीं
मुकम्मल हो ही नहीं पाती कभी तालीमे मोहब्बत…
यहाँ उस्ताद भी ताउम्र एक शागिर्द रहता है…!!
न जाने इतनी मोहब्बत
न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए..!!
की मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता हे ..!!
आग लगे तो
आग लगे तो शायद अंधेरा पिघले
तेरी चिता की कोख से जब सूरज निकले।
आईना आज फिर
आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया,
दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया|
तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारे जाने के बाद सुकून से
सो नहीं पाया कभी.
मेरी करवटों में रेगिस्तान सा
खालीपन पसरा रहता है
जब तुम पास होते हो तो कोई
शिकायत नहीं होती किसी से भी.
तुम मिली तो ऐसा लगा
तुम मिली तो ऐसा लगा कि पूरी दुनिया को पा लिया…
जब तुम जुदा हुईं मुझसे,
तो ऐसा लगा किसी ने मेरा
दिल ही निकाल लिया|
बहोत बोलने वाले
बहोत बोलने वाले जब अचानक खामोश हो जाये,
तो उनकी खामोशी से सुकून नहीं खौफ आता है !!
बहुत तेज दिमाग चाहिए…
बहुत तेज दिमाग चाहिए…..
गलतियाँ नीकालने के लिए ।
लेकिन एक सुंदर दिल होना चाहिए….
गलतियाँ कबुल करने के लिए ।
उसने ऐसी चाल चली के
उसने ऐसी चाल चली के मेरी मात यकीनी थी,
फिर अपनी अपनी किस्मत थी,
हारी मैं, पछताया वो…..!!!!!!