जो फ़ना हो जाऊं

जो फ़ना हो जाऊं तेरी चाहत में तो ग़ुरूर ना करना,

ये असर नहीं तेरे इश्क़ का, मेरी दीवानगी का हुनर है !

कभी साथ बैठो

कभी साथ बैठो तो कहूँ की क्या दर्द है मेरा……
तुम दूर से पूछोगे तो खैरियत ही कहेगे ……