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Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !

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Category: दर्द शायरी

by pyarishayri - July 11, 2017

कभी तो मेरी ख़ामोशी का

कभी तो मेरी ख़ामोशी का मतलब खुद समझ लो….!

कब तक वजह पूछोगे अंजानो की

by pyarishayri - July 11, 2017

जिंदगी अब नहीं संवरेगी

जिंदगी अब नहीं संवरेगी शायद..तजुर्बेकार था.. उजाड़ने वाला…

by pyarishayri - July 11, 2017

पेड़ भूडा ही सही

पेड़ भूडा ही सही घर मे लगा रहने दो, फल ना सही छाँव तो देगा

by pyarishayri - July 11, 2017

उसे जाने को जल्दी थी

उसे जाने को जल्दी थी सो मैं आँखों ही आँखों में,
जहां तक छोड़ सकता था वहाँ तक छोड़ आया हूँ…

by pyarishayri - July 11, 2017

सन्नाटा छा गया

सन्नाटा छा गया बँटवारे के किस्से में,

जब माँ ने पूँछा- मैं हूँ किसके हिस्से में

by pyarishayri - July 11, 2017

जहाँ आपको लगे कि

जहाँ आपको लगे कि आपकी जरूरत नही है..
वहां ख़ामोशी से खुद को अलग कर लेना चाहिए!!

by pyarishayri - July 11, 2017

यूँ तो ए-ज़िन्दगी

यूँ तो ए-ज़िन्दगी, तेरे सफर से शिकायते बहुत थी, मगर “दर्द” जब “दर्ज” कराने पहुँचे तो “कतारे” बहुत थी।

by pyarishayri - July 11, 2017

दिलों में रहता हूँ

दिलों में रहता हूँ धड़कने थमा देता हूँ
मैं इश्क़ हूँ,
वजूद की धज्जियां उड़ा देता हूँ

by pyarishayri - July 11, 2017

मैं तुझे चांद कह दूं

मैं तुझे चांद कह दूं ये मुमकिन तो है मगर
लोग तुझे रात भर देखें ये गवारा नहीं मुझे|

by pyarishayri - July 11, 2017

मंजिल मिल ही जायेगी

मंजिल मिल ही जायेगी, भटकते हुए ही सही..
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।

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