इक मुद्दत से किसी ने दस्तक नहीं दी है ।
मैं उसके शहर में बंद मकान की तरह हूँ ।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इक मुद्दत से किसी ने दस्तक नहीं दी है ।
मैं उसके शहर में बंद मकान की तरह हूँ ।।
ना बुरा होगा ना बढ़िया होगा,
होगा वैसा, जैसा नजरिया होगा ।
कहते हैं ईश्क एक गुनाह है,
जिसकी शुरूआत, दो बेगुनाहो से होती है..
इस साल गर्मी तो बहुत पड़ रही है….
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फिर भी तेरा दिल पिघलने ….का नाम ही नहीं ले रहा.
प्यार का मतलब तो नहीं मालूम मुझे,
मगर जब जब तुझे देखूँ
दिल धङकने लगता है…!!!
Log kehte hai ki mohabbat ek bar hoti hain,
Lekin main jab jab use dekhun mujhe har baar hoti hai..
धन से बेशक गरीब रहो, पर दिल से रहना धनवान।।
अक्सर झोपडी पे लिखा होता है “सुस्वागतम्” और
महल वाले लिखते है “कुत्तो से सावधान”।।
अगर मुझ से नफरत ही करनी है तो ऐसी दुआ कर….
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कि तेरी दुआ भी पूरी हो जाए और मेरी जिँदगी भी…..
अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई ,
तो फिर दर्द का हिसाब क्यों रखूं ?
मुठ्ठी बंद किये बैठा हूँ, कोई देख न ले
चाँद पकड़ने घर से निकलूँ , जुगनू हाथ लगे