चलो मुस्कुराने की वजह ढूँढते हैँ…
तुम हमेँ ढूँढो.. हम तुम्हेँ ढूँढते हैँ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चलो मुस्कुराने की वजह ढूँढते हैँ…
तुम हमेँ ढूँढो.. हम तुम्हेँ ढूँढते हैँ..
सारा दर्द मुझे ही सौंप दिया…
उसे मुझपे ऐतबार बहुत था…!!!
तेरे ही किस्से…तेरी ही कहानियाँ मिलेंगी मुझमें…,
मैं कोई अख़बार नहीं…जो रोज़ बदल जाऊं…।
कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने,
मैं जब खुश हुआ तो खफा होकर चल दिये…!!!
Hum bhi baandhey gey
Tere Ishq mai Ehraam-e-Junoon,
Hum bhi Dekhange Tamasha teri LaiLaai ka..!!
“जीत” किसके लिए,
‘हार’ किसके लिए,
‘ज़िंदगी भर’ ये ‘तकरार’ किसके लिए..
जो भी ‘आया’ है वो ‘जायेगा’ एक दिन यहाँ से ,
फिर ये इंसान को इतना “अहंकार” किसके लिए..
बहुत सुन्दर शब्द जो एक मंदिर के दरवाज़े पर लिखे थे :
“सेवा करनी है तो, घड़ी मत देखो !
प्रसाद लेना है तो, स्वाद मत देखो !
सत्संग सुनाना है तो, जगह मत देखो !
बिनती करनी है तो, स्वार्थ मत देखो !
समर्पण करना है तो, खर्चा मत देखो !
रहमत देखनी है तो, जरूरत मत देखो !!
उसे मुझसे मोहब्बत नही तो ना सही…
क्या इतनी सी बात पर मै उसको चाहना छोड दूँ…!
न जाने कब खर्च हो गये वो लम्हें….
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जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए…..!!
सोचने लगा हू बना लू अपनी एक कहानी,
पर डर लगता है कि कही रह ना जाए
“हमारी अधूरी कहानी”