मेरी तमन्ना न थी

मेरी तमन्ना न थी तेरे बगैर रहने की…
लेकिन
मज़बूर को…मज़बूर की…मजबूरियां मज़बूर कर देती है….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *