by pyarishayri - पारिवारिक शायरी, प्यार शायरी, प्रेणास्पद शायरी, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी, हिंदी शायरी - May 27, 2017 पता है जिसको पता है जिसको मुस्तकबिल हमारा वो अपने आज से अनजान क्यूँ है|