ख़्वाहिश-ऐ-दिल

ऐ ज़िन्दगी ख़्वाहिश-ऐ-दिल तो सुन मेरी..!!

वो सँवारे खुद को बेइंतेहा
और में उसका घूंघट उठाऊ…!

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