कौनसा ज़ख़्म था जो ताज़ा ना था,
इतना गम मिलेगा अंदाज़ा ना था,
आप की झील सी
आँखों का क्या कसूर,
डूबने वाले को ही गहराई का अंदाज़ा ना
था |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कौनसा ज़ख़्म था जो ताज़ा ना था,
इतना गम मिलेगा अंदाज़ा ना था,
आप की झील सी
आँखों का क्या कसूर,
डूबने वाले को ही गहराई का अंदाज़ा ना
था |