ख़त जो लिखा मैनें इंसानियत के पते पर ! डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते !

ख़त जो लिखा मैनें इंसानियत के पते पर !
ख़त जो लिखा मैनें इंसानियत के पते पर !

ख़त जो लिखा मैनें इंसानियत के पते पर !
डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते !
#PyariShayri #प्यारीशायरी #10

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