तेरे होंठों ने जो ग़ज़ल लिखी थी गर्दन पर मेरी,
आज भी हाथ फेरता हूँ तो निशान उभर आते हैं..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरे होंठों ने जो ग़ज़ल लिखी थी गर्दन पर मेरी,
आज भी हाथ फेरता हूँ तो निशान उभर आते हैं..