हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए,हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए…
ना-मुरादी अपनी किस्मत गुमराही अपना नसीब,कारवाँ की खैर हो हम कारवाँ तक आ गए..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए,हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए…
ना-मुरादी अपनी किस्मत गुमराही अपना नसीब,कारवाँ की खैर हो हम कारवाँ तक आ गए..