by pyarishayri - Facebook Status, Urdu Shayri, Whatsapp Shayri, Zindagi Shayri, लव शायरी, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी, हिंदी शायरी - July 27, 2016 हर रोज़ नयी सी न तेरी अदा समझ में आती है ना आदत… तू हर रोज़ नयी सी ,1 मैं हर रोज़ वही उलझा सा. .