तुम्हीं पे मरता है

तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता
कई जन्मों से बंदी है, बग़ावत क्यों नहीं करता
कभी तुमसे थी जो, वो ही शिक़ायत है ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है, मुहब्बत क्यों नहीं करता…

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