पनाह मिल गई रूह को जिस हाथ को छूने भर से….
बस फिर क्या था…
उसी हथेली पर मैंने अपनी हवेली बना ली….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
पनाह मिल गई रूह को जिस हाथ को छूने भर से….
बस फिर क्या था…
उसी हथेली पर मैंने अपनी हवेली बना ली….