किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया हैं ये दिल,
कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया हैं ये दिल,
कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं.