इतना याद ना आया करो की रातभर सो ना सकू,
दोपहर को जब आंख खुलती है तो घरवाले नाश्ता नहीं देते !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इतना याद ना आया करो की रातभर सो ना सकू,
दोपहर को जब आंख खुलती है तो घरवाले नाश्ता नहीं देते !