अगर तुम्हें भूलाना मुमकिन होता तो कब के भूला दिये होते,
यूँ पैरों में मोच होते हुए भी चलना किसको पसंद है !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अगर तुम्हें भूलाना मुमकिन होता तो कब के भूला दिये होते,
यूँ पैरों में मोच होते हुए भी चलना किसको पसंद है !!