ख्वाहिश ये बेशक नही
कि
“तारीफ” हर कोई करे…!
मगर
“कोशिश” ये जरूर है
कि कोई बुरा ना कहे..”
संभाल के खर्च करता हूँ खुद को दिनभर …
हर शाम एक आईना मेरा हिसाब करता है ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ख्वाहिश ये बेशक नही
कि
“तारीफ” हर कोई करे…!
मगर
“कोशिश” ये जरूर है
कि कोई बुरा ना कहे..”
संभाल के खर्च करता हूँ खुद को दिनभर …
हर शाम एक आईना मेरा हिसाब करता है ..