इक दूर से आती है
पास आके पलटती है
इक राह अकेली सी
रूकती है न
चलती है
ये सोच कर बैठी हूँ
इक राह तो वो होगी
तुम तक जो
पहुँचती है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इक दूर से आती है
पास आके पलटती है
इक राह अकेली सी
रूकती है न
चलती है
ये सोच कर बैठी हूँ
इक राह तो वो होगी
तुम तक जो
पहुँचती है।