कुछ लौग ये सोचकर भी मेरा हाल नहीं पुँछते…
कि यै पागल दिवाना फिर कोई शैर न सुना देँ !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ लौग ये सोचकर भी मेरा हाल नहीं पुँछते…
कि यै पागल दिवाना फिर कोई शैर न सुना देँ !!