अब कोई नक्शा नही उतरेगा इस दिल की दीवार पर….!!
तेरी तस्वीर बनाकर कलम तोड़ दी मैंने…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अब कोई नक्शा नही उतरेगा इस दिल की दीवार पर….!!
तेरी तस्वीर बनाकर कलम तोड़ दी मैंने…
बस ये कहकर टाँके लगा दिये उस हकीम ने..कि
जो अंदर बिखरा है उसे खुदा भी नहीं समेट सकता..!!
आज फिर मुमकिन नही कि मैं सो जाऊँ…
यादें फिर बहुत आ रही हैं नींदें उड़ाने वाली
उसने अपने दिल के अंदर जब से नफरत पाली है।
ऊपर ऊपर रौब झलकता अंदर खाली खाली है।।
जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दूंगा,
पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है !!
उम्मीद न कर इस दुनिया मेँ,
किसी से हमदर्दी की..!!
बड़े प्यार से जख्म देते हैँ, शिद्दत से चाहने वाले…!!
हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से
देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में..!!
अब डर लगता है मुझे उन लोगो से…
जो कहते है, मेरा यक़ीन तो करो…!!
देते नहीं दाद …. कभी वो कलाम पे मेरे,
जुड़ न जाए कहीं नाम उनका नाम से मेरे
कौन कहता है हम दुनिंया से खाली हाथ जायेगे ,तेरा नाम रूह पे लिखवा कर आयेगे ॥