अब कौन से मौसम से कोई आस लगाए,
बरसात में भी याद जब न उनको हम आए।
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अपनो की चाहतो ने दिए ऐसे फरेब
अपनो की चाहतो ने दिए ऐसे फरेब..
रोते रहे लिपट कर, हर अजनबी से हम..!
दर्द हल्का है, सांसे भारी है
दर्द हल्का है, सांसे भारी है …
जिए जाने की ” रस्म ” जारी है |
क्यूँ शर्मिंदा करते हो
क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर ,
हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा हैं…
कोई आँखों से बात कर लेता है
कोई आँखों से बात कर लेता है,
कोई आँखों में मुलाक़ात कर लेता है,
बड़ा मुश्किल होता है जवाब देना,
जब कोई इंग्लिश में बात कर लेता है.
हमे क्या पता था की जिंदगी इतनी अनमोल है!
हमे क्या पता था की जिंदगी इतनी अनमोल है…
कफ़न ओड़ कर देखा तो….
नफरत करने वाले भी रो रहे थे..
दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो..
दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो..
इन्तजार उसका.. जिसको एहसास तक नहीं…!!
क्या है
क्या है?
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है?
तुम ही कहो कि ये अंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू क्या है?
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है?
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी जेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है?
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा,
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है?
रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार और हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है?
टूट गया
टूट गया
समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया
इतने घुटने टेके हमने, आख़िर घुटना टूट गया
देख शिकारी तेरे कारण एक परिन्दा टूट गया,
पत्थर का तो कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन शीशा टूट गया
घर का बोझ उठाने वाले बचपन की तक़दीर न पूछ
बच्चा घर से काम पे निकला और खिलौना टूट गया
किसको फ़ुर्सत इस दुनिया में ग़म की कहानी पढ़ने की
सूनी कलाई देखके लेकिन, चूड़ी वाला टूट गया
ये मंज़र भी देखे हमने इस दुनिया के मेले में
टूटा-फूटा नाच रहा है, अच्छा ख़ासा टूट गया
अजीब था उनका अलविदा कहना
अजीब था उनका अलविदा कहना,
सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं,
बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में,
की लुटा कुछ नहीं और बचा भी कुछ नही