मशवरा तो देते रहते हो कि खुश रहा करो,
कभी कभी वजह भी दे दिया करो
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जरा सी रंजिश पर ना छोड़
जरा सी रंजिश पर ना छोड़ किसी अपने का साथ……..
जिंदगी बीत जाती है अपनों को अपना बनाने मै……।
आवाज को नहीं
आवाज को नहीं , अपने अलफ़ाज़ को ले जाओ बुलंदी पर ।।।
बादलों की गरज नहीं , बारिश की बौछार फूल खिलाती है ।।।
अपने सिवा कोई मिला है क्या तुम्हे
अपने सिवा कोई मिला है क्या तुम्हे ?
हज़ारों बार ली तुमने मेरे दिल की तलाशियां…!
महक उतनी ही बिखरी
इलाईची के दानों सा,
मुक़द्दर है अपना…!
महक उतनी ही बिखरी …
जितने पीसे गए
लोग क्या कहेंगे
“लोग क्या कहेंगे “, ये समझ कर जी रहे हैं तो फ़िर…
“भगवान क्या कहेंगे” इसका भी विचार जरूर करना।
ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है साहिब
ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है साहिब…
वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेते है….!!!
आँख बंद करके चलाना खंजर
आँख बंद करके चलाना खंजर
मुझ पे ,
कही मैं मुस्कुराया तो तुम
पहले मर जाओ गे ,
रहने दे अंधेरे मे मुझे
रहने दे अंधेरे मे मुझे…. गालिब
उजाले मे अपनो के असली चेहरे नजर आ जाते हैँ….!
चलो मुस्कुराने की वजह ढूँढते हैँ
चलो मुस्कुराने की वजह ढूँढते हैँ…
तुम हमेँ ढूँढो.. हम तुम्हेँ ढूँढते हैँ..