खुल सकती हैं

खुल सकती हैं रुमाल की गांठें बस ज़रा से जतन से मगर,

लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं.. !!!

अपना क्या है

जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ