बड़ी बेअदब है जुल्फें आपकी,हर वो हिस्सा चूमती है जो ख्वाहिश है मेरी !!
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सहम सी गयी है
सहम सी गयी है ख्वाइशें..
जरूरतों ने शायद उनसे….ऊँची आवाज़ में बात की होगी।
होता है अगर
होता है अगर तो होने दो, मेरे क़त्ल का सौदा,मालूम तो हो, बाज़ार में क्या कीमत* है मेरी..
लतीफे छेड़ कर मैं
लतीफे छेड़ कर मैं अपनी माँ को जब हंसाता हूँ
मुझे महसूस होता है कि जन्नत मुस्कुराती है
कभी बेपनाह बरसी
कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं…
ये बारिशें भी कुछ कुछ तुम सी हैं…
कभी साथ बैठो तो कहूँ
कभी साथ बैठो तो कहूँ क्या दर्द है मेरा..अब तुम दूर से पूछोगे तो सब बढ़िया ही कहूँगा…
तारीखें… हज़ारों साल में
तारीखें… हज़ारों साल में बस इतनी ही बदली,पहले दौर था पत्थरों का,अब लोग हैं पत्थरों के…!!
कहाँ मिलता है
कहाँ मिलता है कोई दिल से चाहने वाला जनाब
यहाँ समझोतों पर सब रिश्ते चल रहे है|
अगर गुलाब देने से
अगर गुलाब देने से मोहबत हो जाया करती, तो आज माली सारे शहर भर का यार होता।
जिस घाव से
जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..