मुलाकात जरुरी हैं, अगर रिश्ते निभाने हो,
वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सूख जाते हैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुलाकात जरुरी हैं, अगर रिश्ते निभाने हो,
वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सूख जाते हैं…
मेरी ख़्वाहिशों की क़ब्र बना कर…
चैन पा लिया है क्या…??
जान पहचान के लोगों में भी पहचान नहीं
कैसी फैली है यहाँ बेरुखी कूचा-कूचा..
मृत्यु की सेज पर तुम आसुंओंको ना बहाना,,,
मेरे रूह की रिहाई का,जश्न तुम मना लेना..
बहुत तकलीफ देता है
कभी कभी,
तेरा ‘हो के’ भी न होना..!!
कितनी दिलकश है उसकी ख़ामोशी सारी बातें फ़िज़ूल हों जैसे…
चलो अच्छा हुआ कि धुंध पड़ने लगी….
दूर तक तकती थीं निगाहें उनको…
सिर गिरे सजदे में,
दिल में दग़ा-बाज़ी हो..
ऐसे सजदों से भला,
कैसे खुदा राज़ी हो!!!
वो बहुत देर तक सोचता रहा…उसे शायद… सच बोलना था… !!!
वो है जान अब हर एक महफ़िल की
हम भी अब घर से कम निकलते हैं..