सब्र रखते हैं , बड़े ही सब्र से हम वरना ज़िंदगी जीना ….कोई आसां तो नहीं……!!
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जब जब भी
जब जब भी मैं बिखरा हूँ,
दुगनी रफ़्तार से निखरा हूँ।
जो जले थे हमारे लिऐ
जो जले थे हमारे लिऐ, बुझ रहे है वो सारे दिये,
कुछ अंधेरों की थी साजिशें, कुछ उजालों ने धोखे दिये..
ग़लत को हम ग़लत कहते
ग़लत को हम ग़लत कहते इसी कहने की कोशिश में
सियासत ने अंधेरों में हमारी हर ख़ुशी रख दी ।
बड़ी बैचेन सी कटती हैं
कैसे कहूं बड़ी बैचेन सी कटती हैं अब अपनी रातें
ना भी बताऊं तो चादर की सलवटें बयां कर देती हैं..
काश तू सुन पाता
काश तू सुन पाता खामोश सिसकियाँ मेरी,,,
आवाज़ कर के रोना तो मुझे आज भी नहीं आता!
कैसे कहूं बड़ी
कैसे कहूं बड़ी बैचेन सी कटती हैं अब अपनी रातें
ना भी बताऊं तो चादर की सलवटें बयां कर देती हैं..
इश्क कर लीजिए
इश्क कर लीजिए बेइंतहा किताबों से;
एक यही है जो अपनी बातों से पलटा नहीं करती!!
तुम्हें भूले पर
तुम्हें भूले पर तेरी यादों को ना भुला पाये;
सारा संसार जीत लिया बस एक तुम से ना हम जीत पाये;
तेरी यादों में ऐसे खो गए हम कि किसी को याद ना कर पाये;
तुमने मुझे किया तनहा इस कदर कि अब तक किसी और के ना हम हो पाये।
तेरे हर ग़म को
तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;
मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;
सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।