शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी …!!
पर चुप इसलिये हु कि, जो
दिया तूने,वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता …!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी …!!
पर चुप इसलिये हु कि, जो
दिया तूने,वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता …!!
इतना संस्कारिक कलयुग आ गया है कि
लड़की कि विदाई के वक्त..
माँ बाप से ज्यादा तो मोहल्ले के लड़के रो देते है
कौन समझ पाया है आज तक हमे…
हम अपने हादसों के इकलौते, गवाह हैं…!
क्या करोगे ये जानकर कि कितना प्यार करते हैं तुमसे….
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❊ बस इतना जान लो, कि वो नम्बर तुम्हारा ही था
❊ जो मुझसे पहली बार याद हो पाया था…
काश कोई तो पैमाना होता मोहब्बत नापने का..
तो शान से आते हम तेरे सामने सबुत के साथ..
बचपन मे बाबा के जूते पहन, बडा होने को मचलता था.!”….
साहेबान…..
आज महसूस करता हूं कि वो ख्वाहिश कितनी नाजायज थी.
दिल टूटने पर भी जो शख्स आपसे
शिकायत तक न करे,,
“”उससे ज्यादा मोहब्बत आपको कोई
और नहीं कर सकता…!!
बिमार की चाहत है,
जख्म के भरने की।
जख्म की ख्वाहिश है,
बिमार के मरने की॥
दोनो भी जुनून से,
खेल रहे जुआ।
मसल देगी तकदीर को,
आपकी दुआ॥
किस्मत वालो को ही मिलती हे
पनाह दोस्तों के दिल में।
यू ही हर शख्स जन्नत का हक़दार
नही होता
बचपन में खेल आते थे हर इमारत की छाँव के नीचे…
अब पहचान गए है मंदिर कौनसा और मस्जिद कौनसा।।