वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
कल ख़ुशी मिली थी
जल्दी में थी, रुकी नहीं….
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल……हार जाने का हौसला है मुझे !
चीर के ज़मीन को मैं उम्मीदें बोता हूँ
मैं किसान हूं चैन से कहाँ सोता हूँ
इस शहर में मजदूर जैसा दर बदर कोई नहीं
सैंकड़ों घर बना दिये पर उसका कोई घर नहीं
ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो
कुछ आदतें बुरी भी सीख लो..ऐब न हों..
तो लोग महफ़िलों में भी नहीं बुलाते…
तेरी मोहब्बत तो जैसे सरकारी नौकरी हो,
नौकरी तो खत्म हुयी अब दर्द मिल रहा है पेंशन की तरह!
तकदीरें बदल जाती हैं जब ज़िंदगी का कोई मकसद हो,
वरना ज़िंदगी कट ही जाती है तकदीरों को इल्ज़ाम देते देते!
दुरुस्त कर ही लिया मैंने नज़रिया अपना,
कि दर्द न हो तो मोहब्बत मज़ाक लगती है!
न जाने कौन सी दौलत है तेरे लफ़्ज़ों में,
बात करते हो तो दिल खरीद लेते हो!